Dr Keshav Baliram Hedgewar
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- आदर्श स्वयंसेवक कल्पना की साक्षात् प्रतिमूर्ति व 'त्यजेदेकं कुलस्यार्थे' अर्थात् 'बड़े हित के लिए छोटे हित का त्याग करना चाहिए' के प्रतीक।
- डॉक्टर जी का जीवन कष्टपूर्ण। परिश्रमी एवं कर्मठ जीवन का आदर्श उदाहरण, अति निर्धनता में प्लेग के कारण एक ही दिन में माता-पिता की मृत्यु।
- पढ़ाई में सदैव अग्रणी।
जन्मजात देशभक्त
- 8 वर्ष की आयु में इंग्लैण्ड की महारानी विक्टोरिया के राज्यारोहण के ६० वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर मिली मिठाई कूड़ेदान में फेंकना।
- 12 वर्ष की आयु में इंग्लैण्ड के राजा एडवर्ड सप्तम् के राज्यारोहण के अवसर पर आयोजित आतिशबाजी का बहिष्कार करना व करवाना।
- 13 वर्ष की आयु में नागपुर के सीताबर्डी किले से यूनियन जैक उतारने के लिए सुरंग खोदना।
लोक संग्रही, कुशल संगठक तथा कुशल नेतृत्वकर्ता
- 16 वर्ष की आयु में “बान्धव समाज” नामक संस्था जो नागपुर में थी से जुड़ कर अपनी आयु वर्ग के युवाओं के साथ क्रान्तिकारी तथा राष्ट्रीय विषयों पर चर्चा करना।
- 18 वर्ष की आयु में विद्यालय निरीक्षक का स्वागत “वन्दे मातरम" के उद्घोष से करने के लिए विद्यार्थियों को तैयार करना, योजना का सफलतापूर्वक क्रिन्यावयन, फलस्वरूप विद्यालय से निष्कासन, योजनाकारों का पता लगाने में विद्यालय प्रशासन असफल।
- रामपायली में विजयादशमी के अवसर पर युवाओं के बीच राष्ट्रवादी व प्रेरणादायी भाषण।
क्रान्तिकारी जीवन
- स्वतन्त्रता संग्राम में सदैव अग्रणी। 1904 (15 वर्ष की आयु) में बम बनाना सीखना। 1908 में पुलिस चौकी पर बम फेंकना।
- 1912 में दिल्ली दरबार के बहिष्कार आन्दोलन में सक्रिय सहभाग।
- माध्यमिक परीक्षा के बाद का सम्पूर्ण समय क्रान्तिकारियों के मध्य । माधवदास आदि क्रान्तिकारियों को भूमिगत रखना, अलीपुर बमकाण्ड में फंसे क्रान्तिकारियों के बचाव के लिए धन संग्रह करना आदि।
- कलकत्ता के मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के समय प्रसिद्ध क्रान्तिकारी संस्था “अनुशीलन समिति" के अन्तरंग सदस्य बनना। क्रान्तिकारी नाम कोकेन। 1914 में सरकार द्वारा राष्ट्रीय मेडिकल कॉलेज की डिग्री अमान्य करने पर जनमत संग्रह आन्दोलन के दबाव से सरकार को डिग्री मानने को बाध्य किया। मध्य प्रान्त तथा बंगाल के क्रान्तिकारियों के बीच सेतु की भूमिका का निर्वहन कुशलतापूर्वक किया। कलकत्ता से लौटने के बाद 2 वर्षों तक अँग्रेजों को मारने व देश से भगाने के लिए क्रान्ति की योजना।
- बाल्यावस्था में ही दृढ़ता, संकल्प शक्ति, विवेक के आधार पर कार्य करने की प्रवृत्ति।
- स्वीकृत कार्य को पूर्ण करने के लिए जो-जो आवश्यक वह करना। काँग्रेस सेवा दल, कार्यकर्ता टोली खड़ा करना आदि।
- आत्मविश्वासी-हिन्दु संगठन सम्भव करके दिखाया। दूरद्रष्टा तथा संघ तन्त्र स्रष्टा। विभिन्न प्रकृति व स्वभाव वालों के लिए ध्येय के प्रति श्रेष्ठ प्रेरक व सामञ्जस्य कर्ता।
प्रचारक पद्धति के निर्माता - लाहौर में भाई परमानन्द के पास व अन्य अनेक स्थानों पर विस्तारक भेजना, पारिवारिक आधार पर संगठन निर्माण, प्रारम्भ से ही अखिल भारतीय संगठन के कल्पनाकार। "समाज में नहीं अपितु सम्पूर्ण समाज का संगठन” के चिन्तनकर्ता।
लोक प्रिय (आलोचक कोई नहीं)
- संघ हिंसात्मक संगठन नहीं (मध्यभारत प्रान्त विधान सभा में स्वीकृत)।
- 15 वर्षों में बिना संसाधनों के संगठन को अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान किया।
- आत्मविलोपी, प्रसिद्धि पराङ्मुखी,- “मैंने किया ऐसा कभी नहीं कहा, सदैव कहा 'हम सब मिलकर कर रहे हैं।
- एक अद्वितीय कार्य पद्धति “दैनन्दिन शाखा” के आविष्कारक।
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