Swayamsevak Ki Sanghonmukhi Dincharya

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स्वयंसेवक की संघोन्मुखी दिनचर्या

  • स्वयंसेवक एक घण्टे की शाखा का ही नहीं अपितु चौबीस घण्टे का स्वयंसेवक।
  • 1 घण्टा शाखा पर शेष 23 घण्टे का समाज सम्पर्क के लिए उपयोग। (दुकानदार को ग्राहकों से, चिकित्सक, अधिवक्ता, अध्यापक आदि का अपने-अपने क्षेत्र के सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों से)।
  • प्रत्येक मित्र स्वयंसेवक तथा प्रत्येक स्वयंसेवक मित्र।
  • एक बार का स्वयंसेवक जीवन पर्यन्त स्वयंसेवक (एकदा स्वयंसेवक-सर्वदा स्वयंसेवक)।
  • व्यक्तिगत मित्रता को स्वयंसेवकत्व की स्थिति में पहुँचाना।
  • संघ कार्य के लिए अधिकाधिक समय निकाल सके ऐसा व्यवसाय चुनना।

संघ कार्य के लिए समय निकालने वाले सूत्र-

  • अपने दैनिक कार्यों (स्नान, भोजन, विश्राम आदि) में न्यूनतम समय लगाना।
  • व्यर्थ की गपशप, बहस आदि में समय नष्ट नहीं करना।
  • अनावश्यक कार्यों को यथा सम्भव टालना।
  • पहले दिन की रात्रि में अगले दिन की व्यवस्थित योजना बनाना।

कार्य योजना-

  • अपने मुहल्ले व व्यक्तिगत, व्यवसायिक व सामाजिक क्षेत्र में सम्पर्क में आने वाले बन्धओं को संघ का उददेश्य, आवश्यकता आदि समझाना। उन्हें कार्यक्रम में बुलाना, अपना साहित्य पढ़ने के लिए देना, संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं अथवा अधिकारियों से मिलवाना। उनके सुख-दु:ख में सम्मिलित होना, अंत में उनको शाखा में लाना।
  • अपना जीवन, व्यावहारिक, प्रमाणिक व प्रेरक हो तथा कथनी-करनी में अंतर न हो।
  • वाणी, चरित्र व धन की प्रमाणिकता उपदेश से नहीं अपितु अपने व्यव्हार से प्रस्तुत करना।
  • शाखा को अपने जीवन की प्राथमिकता बनाना। 23 घण्टे संघ कार्य वृद्धि के लिए प्रयास करना।
  • घरों का सम्पर्क-स्वयंसेवक तथा उनके परिवार के सभी लोगों के साथ आत्मीय सम्बन्ध।