Hindi Rakshabandhan Sandesh 2020
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ श्रावण पूर्णिमा 2020 रक्षाबंधन संदेश
आत्मीय हिन्दू बंधु,
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा हर वर्ष मनाये जाने वाले छः प्रधान पर्वों में रक्षाबंधन पर्व एक है। श्रावण पूर्णिमा के पर्व दिवस पर यह उत्सव हम मनाते हैं। साधारणतया भारतीय समाज में यह पर्व परिवार तक ही सीमित होता है। भाई-बहन के बीच आत्मीयता और अनुराग का प्रतीक है यह पर्व। बहन के प्रति भाई का प्यार-कर्तव्य दीक्षा के प्रतीक के रूप में यह पर्व मनाने की परंपरा है। संघ में इस भावना को केवल परिवार तक ही सीमित न रखते हुए समाज में विस्तार करने के लिए विचार किया गया है। यह समस्त समाज एक ही परिवार है। यहाँ के जनमानस, भाइयों की तरह मिलकर जीवन यापन करते हुए समाज और धर्म के प्रति कर्तव्यनिष्ठ हों, यह संदेश इस उत्सव के माध्यम से संघ समाज को प्रदान करता है।
हमारे बीच अनेकता एवं स्वार्थ की भावना के कारण विगत 1200 साल हम विदेशियों के शासन में रहे हैं। इस कालखण्ड में हमारा समाज ने कई कष्टों को झेला है। हमारे मंदिरों को, श्रद्धा केंद्रों को विदेशी-विधर्मी आक्रान्ताओं ने ध्वंस किया था। इसी के अंतर्गत मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्रजी के जन्म भूमि पर विराजित भव्य राम मंदिर को ध्वंस कर बाबर ने मस्जिद बनवाया था। श्री राम जन्म भूमि को प्राप्त करने के लिए 500 साल भीषण संघर्ष करना पड़ा। इस संघर्ष में 3 लाख से अधिक हिन्दुओं ने अपने प्राणों को खो दिया था। 1989 मे साधु-संतों के मार्गदर्शन में राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने प्रचंड आंदोलन किया था। बाबरी ढाँचा 1992 में हटाये जाने पर भी राम मन्दिर निर्माण का कार्य न्यायालयों में अड़ा रहा। जागृत हिन्दू समाज एवं केन्द्र सरकार के कर्तव्य-निष्ठा के कारण अंततः सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण के लिए अनुमति प्रदान की है। इस कारण भव्य राम मंदिर निर्माण का चिर स्वप्न साकार होने जा रहा है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण हिन्दू समाज के स्वाभिमान का प्रतीक है। यह समस्त हिन्दू समाज को गर्व करने का पल है।
1947 में अपने देश को स्वतंत्रता प्राप्त होने पर भी तत्कालीन केन्द्र सरकार की कमियों व नीतियों के कारण, समाज में अनेकता तथा उदासीनता आदि कमजोरियों के कारण, आर्थिक स्वतंत्रता को खो देना पड़ा। परिणामस्वरूप हमारे पड़ोसी देश चीन ने हमारी ज़मीन पर कब्जा कर ही नहीं लिया अपितु हमारी आर्थिक व्यवस्था को कुचलने की कोशिश में जुटा रहा और कुछ हद तक कामयाब भी हो गया। अनेक वस्तुओं के लिए चीन पर निर्भर रहने की दुर्भर परिस्थिति पर ला खड़ा कर दिया गया है। लेकिन इसी बीच हमारी केन्द्र सरकार की सुदृढ़ रवैये के कारण चीन की विस्तारीकरण की आकाँक्षा को रोक लग गई। इस परीक्षा की घड़ी में समस्त समाज को एक होकर चीनी वस्तुओं का परित्याग कर स्वदेशी वस्तुओं का उत्साहवर्धक उपयोग का एक विस्तृत अभियान चलाने का अवसर आया है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया, वोकल अबाउट vocal about local होने को कहा है। स्थानीय उत्पादकीय वस्तुओं को खरीदकर प्रोत्साहन प्रदान कर अपने देश को आर्थिक पुरोगति प्रदान करने के साथ ही साथ उन स्थानीय उत्पादनकर्ताओं के जीवन को उभारा जा सकता है। स्वयंसेवक परिवार स्वयं स्वदेशी भावना का पालन करते हुए समाज में विस्तार से इसका प्रचार करें - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यह अपेक्षा करता है।
गत 6 महीनों से विश्व को प्रकम्पित करने वाली कोरोना महामारी ने इस धरती पर मानव जीवन को तितर-बितर कर दिया है। आर्थिक-तकनीकी क्षेत्र में संपन्न स्थिति पर स्थित अमेरिका, यूरोप जैसे देश भी बेबसी से लाखों लोगों के प्राणों को गंवा चुके है, लेकिन अत्यधिक आबादी तथा सीमित आर्थिक स्थिति और बहुसीमित तकनीकी युक्त भारत में मृत्युदर बहुत ही कम रहना - यह दुनिया को आश्चर्यचकित कर रहा है। यह निस्संकोच कहा जाता है कि हजारों सालों से चली आ रही हमारे देश में सुपारिवारिक व्यवस्था, खान-पान का संयमित आचरण, अपनी परंपराएँ व संप्रदाय ही इसका कारण है - जहाँ मृत्युदर कम है। हिन्दू जीवन विधान, योगा-ध्यान, आयुर्वेदीय आहार-नियमावली के आदतों के कारण ही हमारा देश कोरोना का सामना समर्थता से कर पा रहा है ऐसा अनेक अध्ययनकर्ताओं ने माना है।
हमारे ऋषिगण, पूर्वजों द्वारा प्रदत्त जीवन-विधान, पारिवारिक-व्यवस्था, संयमित व्यवहार स्वस्थ-संरक्षण में हमारे समाज के लिए ही न होकर संपूर्ण मानवजाति की भलाई के लिए भी उपयोगी है। इस संस्कृति-सभ्यता, भोजनादि की आदतें, हिन्दू जीवन का आचरण कर अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का दायित्व हम सभी पर है। विगत 95 वर्षों से हिन्दू समाज के संघटन द्वारा देश के पुनर्वैभव निर्माणार्थ लक्ष्य सिद्धी के लिए ही संघ कार्य कर रहा है। हर वर्ष रक्षाबंधन के अवसर पर व्यापक स्तर पर समाज में जाकर सभी से मिलकर मैं आपकी रक्षा-आप मेरी रक्षा...हम दोनों देश और समाज की रक्षा का संकल्प संदेश पहुँचाता है। इस विचार को तीव्रगति से सभी परिवारों में समस्त समाज में पहुँचाना है। तभी हम और हमारा देश शक्तियुक्त होगा। विश्व में शांति की स्थापना होगी।
सूचना कार्यक्रम के अंत में परिवार के सदस्य आपस में रक्षाएँ बाँधकर इस श्लोक का पाठ करेंगे ।
येनबध्दो बलिराजा, दानवेंद्रो महाबलाः । तेनत्वामभि बध्नामि, रक्षे माचल माचल ।।
भाव:- जिस रक्षा−सूत्र से महाबली दानवराज बंधा हुआ हो, उस रक्षा सूत्र से तुम्हें बाँध रहा हूँ। उसी प्रकार रक्षा सूत्र में बंधे होने पर रक्षा सूत्र कह रहा है कि विचलित न हो मेरे अधीन रहने वालों को कोई हानि नहीं होगी, इस रक्षा कवच में यही भावना निहित है । (जिस प्रकार उनकी रक्षा हुई उसी प्रकार हमारी रक्षा हो)